शनिवार, 18 सितंबर 2010

मुसलिम आतंकवादियों से बचाब---संदर्भ कुरान न पढ़ाने पर बम हमलों की चेतावनी!


आप सब जानते हैं कि भारत में मुसलिम आतंकवाद का प्रवेश 7-8वीं शताब्दी में मुहम्मद विन कासिम के रूप में हुआ? तब से लेकर आज तक मुसलिम आतंकवादियों के हमले जारी हैं। इन हमलों के परिणामस्वारूप हिन्दू राष्ट्र भारत के कई विभाजन हो चुके हैं। क्या बजह है कि मुसलिम आतंकवादी हमलों में लाखों हिन्दूओं के कत्ल व करोड़ों के वेघर होने के बाबजूद हम आज तक मिुसलिम आतंकवाद का कोई ठोस समाधान न निकाल पाए?


आज तक मुसलिम आतंकवाद से बचे रहे पंजाब व हिमाचल को अब मुसलिम आतंकवादियों से वार-वार वम हमलों की चेतावनियां दी जा रही हैं। कभी सेना के प्रतिस्ठानों पर वम हमलों की तो कभी पाठशालाओं में कुरान न पढ़ाय जाने की सूरत में पाठशालाओं पर बम हमलों की।


ऐसा चेतावनी देने वाले पत्र इसबार शाहपुर व पठानकोट से जारी हुए हैं।मतलब हिमाचल व पंजाब में भी मुसलिम आतंकवादियों के ट्रेनिंग कैंप चल रहे हैं। स्वाभाविक है कि ये कैंप जरूर किसी न किसी मस्जिद या मदरसे में चलाय जा रहे हों आखिर ये चेतावनियां कौन दे रहा है ? क्यों दे रहा है? इन हमलों से बचने का उपाय क्या है।


हमारे विचार में सबसे पहले तो देश में रहने वाले सब गैर मुस्लिमों खासकर हिन्दूओं को अपने आस-पास रहने वाले मुसलमानों पर निगाह रखनी चाहिए । उन्हें यह जानने का पूरा प्रयास करना चाहिए उनके आस-पास चलने वाले मदरसों व मसजिदों में क्या किया जा रहा है ?


बहुत मुमकिन है कि वहां पर आतंकवाद की ट्रेनिंग दी जा रही हो । किसी भी संदिग्ध गतिविधि का पता चलने पर सबसे पहले अपने अन्य हिन्दू भाईयों को जागरूक करना चाहिए ।


अगर मुसलमानों में से भी किसी के भी इन आतंकवादी गतिविधियों में सामिल न होने के सम्भावना हो ते उन्हें भी साथ लेने की कोशिश करनी चाहिए।


सारे इन्तजाम हो जाने पर सब मुसलिम आतंकवादियों को उन मदरसों व मस्जिदों सहित आग के हवाले कर देना चाहिए । ऐसा करते वक्त इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जानबूझकर किसी वेगुनाह का कत्ल न किया जाय पर यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी गुनाहगार शोर मचाने के लिए जिन्दा न बचने पाए।


अब मुसलिम आतंकवादियों व उनके ट्रेनिंग कैंपों के खत्म हो जाने के बाद बचे आम मुसलमानों को यथाशीघ्र अपने पैतृक धर्म में वापिस ले लेना चाहिए। हां ऐसा करते वक्त उनके मूल अधिकारों की जिम्मेदारी प्रमुख हिन्दूओं को अपने कन्धों पर उठानी होगी।


जो हिन्दू धर्म में वापिस आने से मना करें उन्हें किसी सुरक्षित क्षेत्र में चले जाने के लिए मजबूर कर देना चाहिए । परन्तु किसी भी हालात में किसी की भी मां-बहन-वेटी-बहू के साथ कोई बदसलूकी नहीं होनी चाहिए।


हमें यह समझना होगा कि मुसलिम आतंकवाद का मकसद गैर मुसलमानों का कत्ल कर इसलामी राज्य स्थापित करना है तो फिर उनके इस उद्देश्य को असफल करने के लिए इसलाम का नमोनिसान मिटाना आबस्यक है।


क्योंकि सदियों से हम इसलाम और आतंकवाद को अलग-अलग समझने की भूल कर हिंसा का सिकार होते आए हैं। हमें ये यह बात समझनी होगी कि इसलाम और मुसलिम आतंकवाद एक-दूसरे के प्रायवाची हैं।


जब तक मुसलिम कम संख्या में होते हैं तो हमें इसलाम नजर आता है लेकिन जिस दिन मुसलमानों की संख्या कत्लोगारद करने के काविल हो जाती है तो यही इसलाम मुसलिम आतंकवाद का रूप घारण कर लेता है।


इसलिए मुसलिम आतंकवाद से बचने के लिए इसलाम को खत्म करना हमारी मजबूरी है क्योंकि अगर हम इसलाम का खात्मा नहीं करेंगे तो इसलाम हमारा खात्मा सुनिस्चित कर देगा।


अगर विस्वास नहीं होता तो ध्यान करो देसभर में मुसलिम आतंकवादियों द्वारा हिन्दू बहुल क्षेत्रों व मन्दिरों पर बम हमले कर मारे गए हजारों हिन्दूओं का।इन हमलों में छोटे-छोटे बच्चों से लेकर बढ़ों तक किसी को नहीं बख्शा गया।


ध्यान करो कशमीर घाटी में मुसलिम आतंकवादियों द्वारा मारे गए 60000 हिन्दूओं व उजाड़े गए 500000 हिन्दुओं का।
http://jagohondujago.blogspot.com/   
                     ध्यान करो आसाम व केरल में मारे गए व मारे जा रहे हिन्दूओं का ।ध्यान करो केरल सहित सारे दक्षिण भारत में हिन्दू लड़कियों को अपवित्र करने के लिए चलाए जा रहे लब जिहाद का।
http://samrastamunch.blogspot.com/2010/05/ibn7.html
अगर ये सब काफी न हो तो जरा सोचो कि जिस दिन आपके आस-पास रहने वाले मुसलमान आतंकवादी वन जायेंगे तो आपका आपके बच्चों का --- आपकी बहू वेटियों का व आपका वो क्या हश्र करेंगे ?


आओ मिलकर यह प्रण करें कि अब हम मुसलिम आतंकवादियों की हिंसा का और सिकार नहीं होंगे इससे पहले कि इसलाम हमारे गिरेवान तक पहुंचे हम इसलाम का अपने आस पड़ोस से नमोनिशान मिटा देंगे।